एक अल्प उपभोगवादी भारतीय प्रवृत्ति को पूरी तरह उपभोक्तावादी
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या ये कहें कि भारत की अल्प उपभोगवादी जनता को पूर्णतः उपभोक्तावादी बनाने के पुण्य-कर्म में हाड़तोड़ मेहनत कर रहे हैं।
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एक अल्प उपभोगवादी भारतीय प्रवृत्ति को पूरी तरह उपभोक्तावादी बनाने की व्यग्रता से भरने में जी-जान से जुट गये हैं, ताकि भूमण्डलीकरण के कर्णधारों तथा अर्थव्यवस्था के महाबलीश्वरों के आगमन में आने वाली अड़चनें ही खत्म हो जाये और इन अड़चनों की फेहरिस्त में वे तमाम चीजें आती है, जिनसे राष्ट्रीयता की गंध आती हो ।